मेरे सभी साधर्मी भाई-बहनों को मेरा जय जिनेंद्र। पर्युषण महापर्व
जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व होता है। यह एक ऐसा पावनकारी पर्व है, जिसके
पुनीत आगमन से मानव की सुप्त शक्तियां जागृत बनती है। वर्ष भर कुछ न
करनेवाले भी इस पर्व के आगमन से पावन बनते हैं। पर्युषण आत्मा को पाप से उस
पार पहुंचाने वाला पावन पर्व है। पाप के पूंजी को नष्ट करने के लिए हमें
इस पर्व की आराधना करनी चाहिए। तो चलिए, आज मैं आपके साथ पर्युषण /
संवत्सरी पर्व पर बनाई हुई मेरी स्वरचित कविता शेयर करना चाहती हूं।
पर्युषण पर्व / संवत्सरी पर्व पर हिंदी कविता
Hindi Poem on Paryushan / Sanvasari Parva
संवत्सरी पर्व की महिमा है अपरंपार
ले जाती है वह हमें मुक्ति के द्वार
ध्येय है संवत्सरी का क्षमा का आदान प्रदान करना
स्नेह और प्रेम का बहता रहे जीवन रूपी झरना
कलह कषायों को हमें दिल से हैं मिटाना
क्षमा के दिव्य प्रकाश से आत्मा को आलोकित हैं करना
जाने अनजाने में हुई भूलों को हमें याद हैं रखना
कलह कषायों को हमें दिल से हैं मिटाना
क्षमा के दिव्य प्रकाश से आत्मा को आलोकित हैं करना
जाने अनजाने में हुई भूलों को हमें याद हैं रखना
प्रायश्चित लेकर उन गलतियों को कभी ना दोहराना
याद कीजिये आज चंदनबाला मृगावती को
क्षमा से ही तो पाया था उन्होंने केवल ज्ञान को
आत्मा से अज्ञान के अंधकार को हैं मिटाना
ज्ञान रुपी प्रकाश जीवन भर फैलाना
संवत्सरी पर्व पर करते हैं सब को खमत खामना
मोक्ष महल ही मिले सबको यही है मंगल भावना।
दोस्तों ! आशा है, पर्युषण / संवत्सरी पर्व पर बनाई हुई मेरी या हिंदी कविता आप सभी को बेहद पसंद आई होगी। पर्युषण महापर्व पर हिंदी स्पीच, तपस्या पर हिंदी स्पीच, जैन नाटिका आदि कई सारे जैन आर्टिकल्स पढ़ने के लिए आप रूपमय वेबसाइट पर जरूर विजिट करते रहे। पर्युषण पर्व की आपको ढेर सारी शुभकामनाएं!
Good....Superb
ReplyDeleteThanks a lot...
DeleteBest
ReplyDeleteThanks sirji
DeleteBeautifully Written
ReplyDeleteThanks mam...
DeleteOsM nice
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