मेरे सभी साधर्मी भाई-बहनों को मेरा जय जिनेंद्र। पर्युषण पर्व का
हमारे आंगन में पदार्पण होने जा रहा है। इस पर्युषण पर्व के स्वागत में हम
सभी जुड़े हैं। यही तो वह दिन होते हैं जब हम व्यस्तमय जिंदगी में से कुछ
समय अपनी आत्मा के लिए निकालते है। आज मैं आप सभी के साथ पर्युषण पर बनाई
हुई हिंदी शायरी शेयर करना चाहती हूं।
पर्युषण पर्व पर हिंदी शायरी / मुक्तक
Hindi Shayri on Puryushan Parv
१] आया है पर्व पर्युषण
पापों का करना है अवलोकन
हुई जो गलतियां हमसे अपार
गुरु भगवंतों के चरणों में करते समर्पण।
२] पर्वाधिराज लेकर आया है धर्म आराधना
गुरु भगवंतों की सेवा में करनी है साधना
दान, शील, तप, भाव मैं बीते समय निरंतर
यही पर्युषण पर्व की हार्दिक शुभकामना।
३] पर्युषण लाया है गुलशन में बहार
स्वाध्याय का चिंतन करें हम बार-बार
सबको खमाकर करे हम माफ
जैन धर्म का यही है सार।
४] धर्म ध्यान का का बहता रहे झरना
पर्युषण पर्व की देते आपको शुभकामना।
५ ] मैत्री भाव का लाया है संदेशा
सबको खमाते रहना हमेशा।
अवश्य पढ़े :- पर्युषण पर्व पर कविता
६] पर्युषण पर्व का हुआ है आगमन
धर्म ध्यान में करो जीवन अर्पण
कषाइयों में आ जाए मंदता
तभी तो सार्थक होगा पर्युषण का पदार्पण।
७] मन में भगवान की वाणी का बज रहा संगीत
महावीर प्रभु से जोड़ली मैंने ऐसी प्रीत
ज्ञान, दर्शन, चरित्र की हो उत्कृष्ट आराधना
हमेशा के लिए मिल जाए सुख आत्मिक।
अवश्य पढ़े :- जैन तपस्या पर नाटिका
८] पर्वाधिराज पर्युषण ने जगाई नवचेतना
धर्म के बिना पशु समान है हमारा जीना
जीवन के कण-कण में धर्म बस जाए
वीर प्रभु के चरणों में करते यही प्रार्थना।
९] ज्ञान का दीप जीवन में जलाना
तपस्या से अपने शरीर को तपाना
धर्म आराधना करना और कराना
ज्ञान-ध्यान में लीन होकर आत्मा को जगाना।
दोस्तों ! आशा है, पर्युषण पर्व पर मेरी बनाई हुई यह शायरी आप सभी को पसंद आई होगी। निवेदन है, इन शायरी को पढ़कर अपने जीवन में भी आचरण में लाने का हम सभी प्रयास करें एवं ज्ञान ध्यान में पर्युषण के यह प्यारे दिन व्यतीत करें। आप सभी को पर्युषण पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं। जय जिनेंद्र।
पर्युषण पर्व की देते आपको शुभकामना।
५ ] मैत्री भाव का लाया है संदेशा
सबको खमाते रहना हमेशा।
अवश्य पढ़े :- पर्युषण पर्व पर कविता
६] पर्युषण पर्व का हुआ है आगमन
धर्म ध्यान में करो जीवन अर्पण
कषाइयों में आ जाए मंदता
तभी तो सार्थक होगा पर्युषण का पदार्पण।
७] मन में भगवान की वाणी का बज रहा संगीत
महावीर प्रभु से जोड़ली मैंने ऐसी प्रीत
ज्ञान, दर्शन, चरित्र की हो उत्कृष्ट आराधना
हमेशा के लिए मिल जाए सुख आत्मिक।
अवश्य पढ़े :- जैन तपस्या पर नाटिका
८] पर्वाधिराज पर्युषण ने जगाई नवचेतना
धर्म के बिना पशु समान है हमारा जीना
जीवन के कण-कण में धर्म बस जाए
वीर प्रभु के चरणों में करते यही प्रार्थना।
९] ज्ञान का दीप जीवन में जलाना
तपस्या से अपने शरीर को तपाना
धर्म आराधना करना और कराना
ज्ञान-ध्यान में लीन होकर आत्मा को जगाना।
दोस्तों ! आशा है, पर्युषण पर्व पर मेरी बनाई हुई यह शायरी आप सभी को पसंद आई होगी। निवेदन है, इन शायरी को पढ़कर अपने जीवन में भी आचरण में लाने का हम सभी प्रयास करें एवं ज्ञान ध्यान में पर्युषण के यह प्यारे दिन व्यतीत करें। आप सभी को पर्युषण पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं। जय जिनेंद्र।
0 Comment