मेरे सभी साधर्मी भाई बहनों को मेरा सादर जय जिनेंद्र ! आज मैं आप सभी के
साथ जैन हिंदी नाटिका शेयर कर रही हूँ। यह नाटिका मैंने बच्चों के लिए
बनाई है। चातुर्मास के दिन चल रहे हैं, धर्म ध्यान का मेला चारों तरफ उमड़ा
हुआ है। ऐसे में बच्चे भी अपने हूनर के अनुसार अलग-अलग प्रकार से धर्म
प्रभावना कर के कर्म निर्जरा का मौका खोना नहीं चाहते। मैंने बच्चों के लिए
एक प्यारी छोटी सी नाटिका गुरु पर बनाई है, जो कॉमेडी भी है और प्रेरणादाई
भी है.....
◆ अनोखी :- अरे अक्षद! क्या कहूं , आज रात में तो मुझे बहुत ही प्यारा सपना देखा !
◆ अक्षद :- क्या बात है, मुझे पता है सपने में आपको रणवीर सिंग दिखा ना ! हा...हा.. हा...!
◆ अनोखी :- नहीं रे !
◆ अक्षद :- कहीं आपको सपने में यह तो नहीं दिखा ना कि हमारे स्कूल में स्टडी वाली एग्जाम बंद होकर, खेल की एग्जाम स्टार्ट हो गई है।
◆ अनोखी :- काश ! ऐसा हकीकत में होता ! पर मुझे यह भी नहीं दिखा।
◆ अक्षद :- फिर IPL की फाइनल क्रिकेट मैच देखने के लिए हम गए और हमारा फेवरेट क्रिकेटर रोहित शर्मा के साथ हमने सेल्फी निकाली... है ना?
◆ अनोखी :- नहीं बाबा अक्षद...
◆ अक्षद :- अच्छा ! कौन बनेगा करोड़पति में हम मिस्टर अमिताभ बच्चन के आगे दोनों हॉट सीट पर बैठे हैं और लाखों रुपए जीत रहे हैं... सही पकड़ा ना...!
◆ अनोखी :- बिल्कुल नहीं। क्या अक्षद... शायद तुम्हें तो बस अब संसार की ही बातें दिखती है। धर्म ध्यान तो भूल ही गए हो।
अरे मुझे दिखा कि हमारे मासी म. सा. हर्षिता जी म. सा. चातुर्मास के लिए नांदगांव पधारे हैं।
◆ अक्षद :- क्या बात अनोखी ! तुम्हारा जैसा जीवन है, वैसा ही तुम्हें सपना दिखता है। नवकारसी, सामायिक, प्रतिक्रमन में तुम जुड़ी रहती हो तो तुम्हें वैसे ही धार्मिक सपने दिखते हैं। मैं तो खेलकूद में मस्त रहता हूं।
◆ अनोखी :- अरे अक्षद ! सपने में मुझे दिखा कि परम पूज्य प्रविनाजी म. सा. की असीम प्रेरणा से तुम भी धर्म ध्यान करने लगे हो।
◆ अक्षद :- क्या बात अनोखी, उन्होंने तो मेरा जीवन ही बदल दिया। मुझे तो धार्मिक लोग अच्छे लगते हैं। पर क्या करूं ? धर्म ध्यान करने का मन ही नहीं होता।
◆ अनोखी :- पर इन म. सा. में ऐसी कला है कि उन्होंने पूरे नांदगांव में धर्म रूपी परफ्यूम डाल दिया है, जिससे धर्म का धार्मिक सुवास सभी के जीवन में महक रहा है। देखो ना...
● दादासा उनकी दुकान छोड़कर रोज व्याख्यान जाते हैं।
● दादीसा - टीवी सीरियल छोड़कर
● पापा - मोबाइल व्हाट्सएप, फेसबुक छोड़कर
● मम्मा - किटी पार्टी छोड़ कर
● तो तुम - खेलकुद छोड़कर ।
◆ अक्षद :- पर अनोखी.... होश में आओ। यह तो केवल सपना था।
◆ अनोखी :- पर यह पूरा हो सकता है।
◆ अक्षद :- कैसे ?
◆ अनोखी :- चलो. . अभी हम परम पूज्य प्रवीनाजी म.सा. के चरणों में विंनती करते हैं कि अगला चातुर्मास नांदगांव संघ को ही प्रदान करें।
◆ अक्षद :- और हां... हमारे मासी म. सा. को भी हमारे साथ कुछ दिन रहने दे।
◆ अनोखी~अक्षद :-
"आपके कर कमलों में है हमारी चाहना
अगला चार्तुमास नांदगांव को ही देना।"
आशा है, आपको मेरी यह जैन धार्मिक नाटिका बहुत पसंद आई होगी। आप छोटे बच्चों में से कोई भी दो किरदार लेकर यह नाटिका किसी भी धार्मिक प्रोग्राम में, पाठशाला में, गुरु भगवंतों की सेवा में या फिर चातुर्मास की विनंती करनी हो तब भी यह नाटीका आप प्रस्तुत कर सकते हैं। और भी धार्मिक आर्टिकल पढ़ने के लिए आप रुपमय वेबसाइट पर जरूर विजिट करते रहे।
अवश्य पढ़े :- जैन हिंदी नाटिका 'जीव की आत्मकथा '
जैन तपस्या पर हिंदी नाटिका
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बच्चों के लिए जैन हिंदी नाटिका / ड्रामा
Jain Hindi Drama for Children
◆ अनोखी :- अरे अक्षद! क्या कहूं , आज रात में तो मुझे बहुत ही प्यारा सपना देखा !
◆ अक्षद :- क्या बात है, मुझे पता है सपने में आपको रणवीर सिंग दिखा ना ! हा...हा.. हा...!
◆ अनोखी :- नहीं रे !
◆ अक्षद :- कहीं आपको सपने में यह तो नहीं दिखा ना कि हमारे स्कूल में स्टडी वाली एग्जाम बंद होकर, खेल की एग्जाम स्टार्ट हो गई है।
◆ अनोखी :- काश ! ऐसा हकीकत में होता ! पर मुझे यह भी नहीं दिखा।
◆ अक्षद :- फिर IPL की फाइनल क्रिकेट मैच देखने के लिए हम गए और हमारा फेवरेट क्रिकेटर रोहित शर्मा के साथ हमने सेल्फी निकाली... है ना?
◆ अनोखी :- नहीं बाबा अक्षद...
◆ अक्षद :- अच्छा ! कौन बनेगा करोड़पति में हम मिस्टर अमिताभ बच्चन के आगे दोनों हॉट सीट पर बैठे हैं और लाखों रुपए जीत रहे हैं... सही पकड़ा ना...!
◆ अनोखी :- बिल्कुल नहीं। क्या अक्षद... शायद तुम्हें तो बस अब संसार की ही बातें दिखती है। धर्म ध्यान तो भूल ही गए हो।
अरे मुझे दिखा कि हमारे मासी म. सा. हर्षिता जी म. सा. चातुर्मास के लिए नांदगांव पधारे हैं।
◆ अक्षद :- क्या बात अनोखी ! तुम्हारा जैसा जीवन है, वैसा ही तुम्हें सपना दिखता है। नवकारसी, सामायिक, प्रतिक्रमन में तुम जुड़ी रहती हो तो तुम्हें वैसे ही धार्मिक सपने दिखते हैं। मैं तो खेलकूद में मस्त रहता हूं।
◆ अनोखी :- अरे अक्षद ! सपने में मुझे दिखा कि परम पूज्य प्रविनाजी म. सा. की असीम प्रेरणा से तुम भी धर्म ध्यान करने लगे हो।
◆ अक्षद :- क्या बात अनोखी, उन्होंने तो मेरा जीवन ही बदल दिया। मुझे तो धार्मिक लोग अच्छे लगते हैं। पर क्या करूं ? धर्म ध्यान करने का मन ही नहीं होता।
◆ अनोखी :- पर इन म. सा. में ऐसी कला है कि उन्होंने पूरे नांदगांव में धर्म रूपी परफ्यूम डाल दिया है, जिससे धर्म का धार्मिक सुवास सभी के जीवन में महक रहा है। देखो ना...
● दादासा उनकी दुकान छोड़कर रोज व्याख्यान जाते हैं।
● दादीसा - टीवी सीरियल छोड़कर
● पापा - मोबाइल व्हाट्सएप, फेसबुक छोड़कर
● मम्मा - किटी पार्टी छोड़ कर
● तो तुम - खेलकुद छोड़कर ।
◆ अक्षद :- पर अनोखी.... होश में आओ। यह तो केवल सपना था।
◆ अनोखी :- पर यह पूरा हो सकता है।
◆ अक्षद :- कैसे ?
◆ अनोखी :- चलो. . अभी हम परम पूज्य प्रवीनाजी म.सा. के चरणों में विंनती करते हैं कि अगला चातुर्मास नांदगांव संघ को ही प्रदान करें।
◆ अक्षद :- और हां... हमारे मासी म. सा. को भी हमारे साथ कुछ दिन रहने दे।
◆ अनोखी~अक्षद :-
"आपके कर कमलों में है हमारी चाहना
अगला चार्तुमास नांदगांव को ही देना।"
आशा है, आपको मेरी यह जैन धार्मिक नाटिका बहुत पसंद आई होगी। आप छोटे बच्चों में से कोई भी दो किरदार लेकर यह नाटिका किसी भी धार्मिक प्रोग्राम में, पाठशाला में, गुरु भगवंतों की सेवा में या फिर चातुर्मास की विनंती करनी हो तब भी यह नाटीका आप प्रस्तुत कर सकते हैं। और भी धार्मिक आर्टिकल पढ़ने के लिए आप रुपमय वेबसाइट पर जरूर विजिट करते रहे।
अवश्य पढ़े :- जैन हिंदी नाटिका 'जीव की आत्मकथा '
जैन तपस्या पर हिंदी नाटिका
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जैन तपस्या पर हिंदी स्पीच
Good keep posting
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