Showing posts with label जैन हिंदी कविता. Show all posts
Showing posts with label जैन हिंदी कविता. Show all posts

जैन दिक्षा / संयम पर बनाई हुई हिंदी कविता Hindi Poem on Jain Diksha / Sanyam

November 12, 2017 5 Comments
घर ,परिवार, संसार का त्याग करके जैन दीक्षा लेना मतलब कांटों भरी राहों पर चलना है। पूरे विश्व में जैन गुरु की एक अलग पहचान होती है। जैन गुरु के पास  कोई प्रकार का आरंभ,परिग्रह नहीं होता है। न संसार का कोई आकर्षण होता है। अपनी आत्मा में लीन रहकर धर्म साधना कर के कर्म निर्जरा करना ही एक मात्र उनका उद्देश्य होता है। बिना चप्पल के,  बिना वाहन के  विहार करना, धूप,गर्मी, सर्दी जैसे 22 परिषह को जीतना आसान काम नहीं है।  मेरी सहेली ने भी  जब दीक्षा लेने की ठान ली तो मैंने उनके अभिनंदन समारोह पर एक कविता बनाई। वह कविता मैं आपके साथ शेयर करना चाहती हूं...

hindi-poem-for-diksharthi-bhai-bahan

जैन दिक्षा / संयम पर बनाई हुई हिंदी कविता

Hindi Poem on Jain Diksha / Sanyam

मेरे प्यारे दोस्त ने एक राह है चुनी
गुरु भगवंत कि उन्होंने बात ही सुनी
 बढ़ रही थी वह संयमी जीवन की और
 मन में दुविधाओं का मचल रहा था शौर
काटों से कठिन राह पर वह कैसे चल पाएगी
बाईस परीषह को क्या वह जीत पाएगी 
पर दृढ़ता उनकी देखकर हुआ मुझे आश्वासन 
 खुब खुब दीपायेंगी वह हमारा जिनशासन
बढ़ाती गई वह रोज एक एक पच्चक्खाण
लूटना चाह रही थी जीवन में संयमरूपी खान
 उनकी लगन देखकर हुई मैं प्रभावित 
 सब कर रहे हैं आज उन्हें सम्मानित
मोहित हो जाता है  देखकर दमकता चेहरा
संजो रही है वह जिनशासन का सेहरा 
"समयं गोयमं मा पमायए" का करना सदैव चिंतन
  गुरु भगवंत की हर शिक्षा का रखना हमेशा स्मरण
 धर्म की करना खूब-खूब प्रभावना
संयमी जीवन के लिए ढेर सारी शुभकामना ।

वाकई में मेरी दीक्षार्थी बहन को धन्यवाद है, जो अपना जीवन सार्थक कर रही है।अपनी जिंदगी जिनशासन पर समर्पित कर रही हैं। वीर प्रभु से यही प्रार्थना है कि वह सिंह की तरह दीक्षा ले रही है और सिंह की तरह ही संयमित जीवन का पालन करके मोक्ष के अव्याबाध सुख को जल्द ही प्राप्त करें।

अवश्य पढ़े :- १] जैन रवा उत्तप्पा हिंदी रेसिपी 
                      २] जैन तपस्या पर हिंदी स्पीच 
                      ३] जैन हिंदी नाटिका जीव की आत्मकथा 
                      ४] महिला संगीत संध्या पर बनाई हिंदी एंकरिंग  

अवश्य पढ़े :-

जैन चातुर्मास कविता Welcome Jain Chaturmas Poem

September 07, 2017 3 Comments
मेरे प्यारे साधर्मी भाई-बहनों को मेरा सविनय सादर जय जिनेंद्र। मैं आज आपके साथ चातुर्मास पर बनाई हुई कविता शेयर करना चाहती हूं। चातुर्मास के दिनों में धर्म के प्रति हम बहुत ही जागरुक हो जाते हैं। गुरु भगवंतों का सानिध्य मिलता है तो धर्म आराधना भी जोरदार हो जाती है। तप त्याग से जीवन  प्रभावित  होता है। जिनेश्वर भगवान की आज्ञा का पालन होता है। हमारा यह चातुर्मास किस प्रकार बीते? चातुर्मास के स्वागत के लिए हमे क्या तैयारी करनी चाहिए? इसका सुंदर विवेचन हम इस कविता के माध्यम से जानेंगे।

welcome-jain-chaturmas-poem

जैन चातुर्मास कविता 

Welcome Jain Chaturmas Poem


                                     हर जैनी करता है इन अनमोल घड़ियों का इंतजार
                                      गुरु भगवंतों के सानिध्य में बीते चातुर्मास बार बार 
                                         ज्ञान दर्शन चरित्र तप का लगता रहे मेला 
                                 दौड़ दौड़ कर के आए स्थानक छोड संसार का झमेला
                                       गुरु भगवंतों के मुखारविंद से सुनने मिले जिनवाणी
                                          मनुष्य भव पाकर बढ़े हमारी पुण्य वाणी
                                    सम्यक ज्ञान रूपी ज्योत को करे हम प्रकाशित
                                       जैन धर्म के तत्व ज्ञान से होते रहे संस्कारित
                                      सम्यक दर्शन तो मोक्ष पाने देगा हमें साथ
                                     जिन उपदेशों को अब हमें करना है आत्मसात
                                     सम्यक चारित्र दृढ़ करेगा हमारा संकल्प 
                                   दान, शील, तप, भाव है बहुत सारे विकल्प
                                  सम्यक तप से करेंगे हम कर्मों को चकनाचूर
                                       मोक्ष रूपी राह ना होगी अब हमसे दूर 
                                      गुरू भगवंतों की कृपा से लूटेंगे सद्गुणों का खजाना
                                     महका देंगे हम हमारा जिन रूपी घराना 
                                                            हर क्षेत्र में गूंजेंगे अब भगवान महावीर के नारे
                                चातुर्मास सफल बनाने में तन मन लगा देंगे सारे।
चातुर्मास के इन दिनों को हमें सार्थक बनाना है, जिनवाणी से अपना जीवन ओतप्रोत बनाना है।  चातुर्मास की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं। आपका चातुर्मास धर्ममय बने यही वीर प्रभु के चरणों में प्रार्थना करते हैं।

अवश्य  पढ़े :- १] जैन तपस्या हिंदी स्पीच 
                                 २] जैन रवा उत्त्तप्पा हिंदी रेसिपी  
                        ३] जैन तपस्या हिंदी नाटिका 
                                           ४] जैन स्वीटकॉर्न मिक्स वेजिटेबल सब्जी