जैन दिक्षा / संयम पर बनाई हुई हिंदी कविता Hindi Poem on Jain Diksha / Sanyam
घर ,परिवार, संसार का त्याग करके जैन दीक्षा लेना मतलब कांटों भरी राहों पर
चलना है। पूरे विश्व में जैन गुरु की एक अलग पहचान होती है। जैन गुरु के
पास कोई प्रकार का आरंभ,परिग्रह नहीं होता है। न संसार का कोई आकर्षण होता है। अपनी आत्मा में लीन रहकर धर्म साधना कर के कर्म निर्जरा करना ही एक
मात्र उनका उद्देश्य होता है। बिना चप्पल के, बिना वाहन के विहार करना,
धूप,गर्मी, सर्दी जैसे 22 परिषह को जीतना आसान काम नहीं है। मेरी सहेली ने भी जब दीक्षा लेने की ठान ली
तो मैंने उनके अभिनंदन समारोह पर एक कविता बनाई। वह कविता मैं आपके साथ
शेयर करना चाहती हूं...
वाकई में मेरी दीक्षार्थी बहन को धन्यवाद है, जो अपना जीवन सार्थक कर रही है।अपनी जिंदगी जिनशासन पर समर्पित कर रही हैं। वीर प्रभु से यही प्रार्थना है कि वह सिंह की तरह दीक्षा ले रही है और सिंह की तरह ही संयमित जीवन का पालन करके मोक्ष के अव्याबाध सुख को जल्द ही प्राप्त करें।
अवश्य पढ़े :- १] जैन रवा उत्तप्पा हिंदी रेसिपी
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३] जैन हिंदी नाटिका जीव की आत्मकथा
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जैन दिक्षा / संयम पर बनाई हुई हिंदी कविता
Hindi Poem on Jain Diksha / Sanyam
मेरे प्यारे दोस्त ने एक राह है चुनी
गुरु भगवंत कि उन्होंने बात ही सुनी
गुरु भगवंत कि उन्होंने बात ही सुनी
बढ़ रही थी वह संयमी जीवन की और
मन में दुविधाओं का मचल रहा था शौर
काटों से कठिन राह पर वह कैसे चल पाएगी
बाईस परीषह को क्या वह जीत पाएगी
मन में दुविधाओं का मचल रहा था शौर
काटों से कठिन राह पर वह कैसे चल पाएगी
बाईस परीषह को क्या वह जीत पाएगी
पर दृढ़ता उनकी देखकर हुआ मुझे आश्वासन
खुब खुब दीपायेंगी वह हमारा जिनशासन
बढ़ाती गई वह रोज एक एक पच्चक्खाण
लूटना चाह रही थी जीवन में संयमरूपी खान
उनकी लगन देखकर हुई मैं प्रभावित
बढ़ाती गई वह रोज एक एक पच्चक्खाण
लूटना चाह रही थी जीवन में संयमरूपी खान
उनकी लगन देखकर हुई मैं प्रभावित
सब कर रहे हैं आज उन्हें सम्मानित
मोहित हो जाता है देखकर दमकता चेहरा
संजो रही है वह जिनशासन का सेहरा
मोहित हो जाता है देखकर दमकता चेहरा
संजो रही है वह जिनशासन का सेहरा
"समयं गोयमं मा पमायए" का करना सदैव चिंतन
गुरु भगवंत की हर शिक्षा का रखना हमेशा स्मरण
गुरु भगवंत की हर शिक्षा का रखना हमेशा स्मरण
धर्म की करना खूब-खूब प्रभावना
संयमी जीवन के लिए ढेर सारी शुभकामना ।
संयमी जीवन के लिए ढेर सारी शुभकामना ।
वाकई में मेरी दीक्षार्थी बहन को धन्यवाद है, जो अपना जीवन सार्थक कर रही है।अपनी जिंदगी जिनशासन पर समर्पित कर रही हैं। वीर प्रभु से यही प्रार्थना है कि वह सिंह की तरह दीक्षा ले रही है और सिंह की तरह ही संयमित जीवन का पालन करके मोक्ष के अव्याबाध सुख को जल्द ही प्राप्त करें।
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