राष्ट्रसंत तरुण सागर जी महाराज पर हिंदी कविता Hindi Poem on Rashtra sant Tarunsagarji Maharaj

September 01, 2018
जैन राष्ट्रसंत तरुण सागर जी महाराज का देवलोक गमन हो गया। उनकी अमृतवाणी सभी के दिल में हमेशा हमेशा के लिए बस गई हैं। भगवान महावीर की वाणी को जन जन तक पहुंचाने का उन्होंने अथक प्रयास किया । राष्ट्र संत तरुण सागर जी महाराज को अपने काव्य पंक्तियों के द्वारा श्रद्धांजलि अर्पण करते हैं।

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राष्ट्रसंत तरुण सागर जी महाराज पर हिंदी कविता

Hindi Poem on Rashtra sant Tarunsagarji Maharaj


जिन के विशाल ह्रदय में था ज्ञान का अप्रतिम खजाना
ऐसे गुरुदेव के पावन चरण कमलों में शत शत वंदना 
धन्य है पिता प्रतापचंद, माता शांताबाई
जिनके जीवन में खुशी की पताका थी लहराई
सभी धर्म के लोग थे आपकी आंखों के नैन
आप की मधुर वाणी सुने बिना मिलता नहीं था चैन 

आपने हमें अहिंसा के पथ पर चलना है सिखाया
 कांटों भरी राहों में मुस्कुराते जीना है सिखाया
आपका शांत प्रसन्नचित चेहरा हमें लगता था अपना सा
जिसे देख कर भूल जाते थे हमारे दुख भरी दास्तां 

कितनों ने हीं बुराईयां त्याग दी आपके कटु वचनों से 
शत् प्रतिशत सत्यता प्रतीत होती थी आपकी वाणी से
 सोच की गहराई में डूब जाती थी मैं जनसमुदाय देखकर
दिल से तब जवाब आता था जैन के ही नहीं जन जन के हे गुरुवर
आपका आशीर्वाद सभी को निरंतर मिलता रहे
कृपा दृष्टि सब पर आपकी सदा बनी रहे।

दोस्तों ! तरुण सागर जी महाराज का जीवन बहुत ही विशाल था। उनके कटु वचनों के पीछे संस्कार, सौम्यता के जो भाव थे, वह सबके हृदय पटल पर हमेशा छाए रहेंगे। आपकी वाणी मे हमेशा जन-जन का हित था। आपकी दिव्य वाणी अच्छा जीवन जीने के लिए हर व्यक्ति को सदेव प्रेरित करती रहेगी।


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