रसनेन्द्रिय
को जितना बड़ा कठिन है! लेकिन अपने इन्द्रिय और मन को काबू कर के जब कोई
तपस्या में जुड़ जाता है तो हमारा मन उस तपस्वी की अनुमोदना करने के लिए
लालायित हो जाता है! यह स्पीच आप तेले की तपस्या से लेकर मासखमण किसी भी तपस्या के
लिए कह सकते है! हम तपस्वियों का अनुमोदन कर के खुद भी इस श्रृंखला में जुड़ने का प्रयास
करते हैं।
यह प्रचंड आलोक बिखेरता सूर्य ,यह असंख्य अमृत किरणे बिखेरता चंद्र, यह
असीम जल्ल कल्लों से तरंगायमान समुद्र, यह विशाल धरा , ये उत्तुंग गिरी
शिखर, यह प्रवाहमान प्रभंजन। सब तपस्वी के चरणो में शत शत वंदन करते हैं।
भगवान ने कर्म निर्जरा के अनेक उपाय बताए हैं। उनमें से तप यह उत्तम उपाय है। जिस प्रकार जमीन, पानी, वायू की अनुकूलता होने पर वनस्पति लहलहा उठती है। वैसे ही चातुर्मास के दिनों में प्राकृतिक वातावरण भी अनुकूल होता है। गुरु भगवंतो के सानिध्य से हमें तपस्या करने की प्रेरणा मिलती है। कहां भी है, 'भव कोडी संचियं कम्मं, तवसा निज्जरिज्जइ' अर्थात तपस्या के माध्यम से करोड़ों भव के कर्म की भी हम निर्जरा कर सकते हैं। भौतीक कामना से रहित तप आत्म कल्याण की सुनहरी आभा बिखेर सकता है। आपकी तपस्या की हम अनुमोदना करते हैं एवं आपके ज्ञान ध्यान तप में वृद्धि हो यही शुभकामनाएं देते हैं।
" तप जीवन का अमृत है
तप जीवन जलती ज्योत है
तप से होती है कर्म निर्जरा
तप मोक्षमार्ग का श्रोत हैं।"
यह स्पीच आप किसी भी तपस्या में कहेंगे तो तपस्वी के तपस्या साथ जिनशासन की भी अनुमोदना होंगी!
अवश्य पढ़े :- १] जैन हिंदी नाटिका 'जीव की आत्मकथा'
२]जैन तपस्या पर हिंदी नाटिका
३] बच्चों के लिए जैन हिंदी ड्रामा
४] तपस्या पर हिंदी घोषवाक्य
जैन तपस्या स्पीच
Hindi Speech on Jain Tapasya
" युद्ध भूमि में योद्धा तपे
सूर्य तपे आकाश
तपस्वी साधक अंदर से तपे
करें कर्मों का नाश।"
भगवान ने कर्म निर्जरा के अनेक उपाय बताए हैं। उनमें से तप यह उत्तम उपाय है। जिस प्रकार जमीन, पानी, वायू की अनुकूलता होने पर वनस्पति लहलहा उठती है। वैसे ही चातुर्मास के दिनों में प्राकृतिक वातावरण भी अनुकूल होता है। गुरु भगवंतो के सानिध्य से हमें तपस्या करने की प्रेरणा मिलती है। कहां भी है, 'भव कोडी संचियं कम्मं, तवसा निज्जरिज्जइ' अर्थात तपस्या के माध्यम से करोड़ों भव के कर्म की भी हम निर्जरा कर सकते हैं। भौतीक कामना से रहित तप आत्म कल्याण की सुनहरी आभा बिखेर सकता है। आपकी तपस्या की हम अनुमोदना करते हैं एवं आपके ज्ञान ध्यान तप में वृद्धि हो यही शुभकामनाएं देते हैं।
" तप जीवन का अमृत है
तप जीवन जलती ज्योत है
तप से होती है कर्म निर्जरा
तप मोक्षमार्ग का श्रोत हैं।"
यह स्पीच आप किसी भी तपस्या में कहेंगे तो तपस्वी के तपस्या साथ जिनशासन की भी अनुमोदना होंगी!
अवश्य पढ़े :- १] जैन हिंदी नाटिका 'जीव की आत्मकथा'
२]जैन तपस्या पर हिंदी नाटिका
३] बच्चों के लिए जैन हिंदी ड्रामा
४] तपस्या पर हिंदी घोषवाक्य
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