भारत भूमि अनेक महापुरुषों की लीला स्थली है। जिनमें से महावीर स्वामी की
शिक्षाएं 2615 वर्ष से अधिक समय बीत जाने पर भी आज और अधिक प्रासंगिक लगती
है। महावीर के सिद्धांतों में नर से नारायण बनने, मानवता से देयत्व की ओर
बढ़ने, त्याग, तपस्या, साधना, आराधना से शांति की ओर अग्रसर होने तथा
क्षमा, दया और सेवा आदि कई गुणों की प्रेरना मिलती हैं। महावीर इसलिए
महावीर नहीं थे कि उन्होंने रण क्षेत्र में बड़े-बड़े शत्रु को लोहा लेकर
उन्हें परास्त किया था। वे इसलिए महावीर बने कि उन्होंने अपने भीतर के
शत्रुओं काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर पर विजय प्राप्त की। ऐसे परम पिता
भगवान महावीर के जीवन चरित्र पर बनाई हुई स्वरचित कविता आप सभी के साथ
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मेरे साधर्मी भाई-बहनों, आशा है, भगवान महावीर पर बनाई हुई यह कविता आप सभी को बेहद पसंद आई होंगी। ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इस कविता को पहुंचाने का प्रयास करें ताकि सभी जान सके हमारे परम पिता भगवान महावीर का जीवन कितना गहरा एवं अनुकरणीय था। जय जिनेंद्र !
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महावीर जन्मकल्याणक \ जयंती 14 अप्रेल 2022 के उपलक्ष में भगवान महावीर पर बनाई हुई हिंदी कविता
Hindi Poem for Lord Mahaveer / महावीर जन्म कल्याणक / जयंती 14 अप्रैल 2022
अज्ञान रुपी अंधकार छाया था जगत में
तब ज्ञान रुपी प्रकाश फैलाया था वीर प्रभु ने
चैत्र सुदी तेरस के दिन जन्म लिया जिनवर
वर्धमान बने जैन धर्म के चौविसवें तीर्थंकर
जन्म
लेते ही सभी तरफ चंदन से शीतलता है छाई
राजा सिद्धार्थ, माता त्रिशला को
दे रहे थे सब बधाई
महावीर की आंखों में बहती थी अमृत धारा
उनके वचनों में प्रकटता था वात्सल्य सारा
भगवान है धीरता, वीरता, गंभीरता के स्वामी
संयमरुपी पथ पर चल कर बने मोक्ष गामी
नयसार के भव में प्राप्त किया समकित
तभी से भगवान के भव की शुरू हुई अंकित
कितने सारे उपत्सर्गों का पहाड़ टूटा था प्रभू पर
जिसे सुनकर हमारा कलेजा कांप उठता है थर-थर
उनके वचनों में प्रकटता था वात्सल्य सारा
भगवान है धीरता, वीरता, गंभीरता के स्वामी
संयमरुपी पथ पर चल कर बने मोक्ष गामी
नयसार के भव में प्राप्त किया समकित
तभी से भगवान के भव की शुरू हुई अंकित
कितने सारे उपत्सर्गों का पहाड़ टूटा था प्रभू पर
जिसे सुनकर हमारा कलेजा कांप उठता है थर-थर
किसी ने कान में किला डाला, किसी ने कालचक्र फेंक दिया
किसी ने तेजोलेश्या फेकी, तो किसी ने पैर पर डस लिया
परमपिता महावीर उन उपत्सर्गो से नहीं डगमगाए
किसी ने तेजोलेश्या फेकी, तो किसी ने पैर पर डस लिया
परमपिता महावीर उन उपत्सर्गो से नहीं डगमगाए
क्रोधित चंडकौशिक पर भी अमृत से फूल बरसाए
साढ़े बारह वर्षों तक प्रभु ने की उग्र तपस्या
इस बीच नहीं ली एक घंटे भर की निद्रा
हर पथ पर नुकूले विषैले कांटे थे पड़े
चट्टान के भांति वे अपनी राह पर चल पड़े
अहिंसा के मार्ग पर भगवान ने हमें चलना हैं सिखाया
साढ़े बारह वर्षों तक प्रभु ने की उग्र तपस्या
इस बीच नहीं ली एक घंटे भर की निद्रा
हर पथ पर नुकूले विषैले कांटे थे पड़े
चट्टान के भांति वे अपनी राह पर चल पड़े
अहिंसा के मार्ग पर भगवान ने हमें चलना हैं सिखाया
"जिओ और जीने दो" का मर्म सरलता से समझाया
महावीर के उपासक तो तभी हम सब कहलाएंगे
जब उनके सिद्धांत और आदर्श को जीवन में अपनायेंगे।
मेरे साधर्मी भाई-बहनों, आशा है, भगवान महावीर पर बनाई हुई यह कविता आप सभी को बेहद पसंद आई होंगी। ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इस कविता को पहुंचाने का प्रयास करें ताकि सभी जान सके हमारे परम पिता भगवान महावीर का जीवन कितना गहरा एवं अनुकरणीय था। जय जिनेंद्र !
अवश्य पढ़े :- महावीर स्वामी के जन्म और परिवार के बारे में विशेष जानकारीयां
महावीर भगवान पर हिंदी स्पीच
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