जिंदगी में कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनमें जितनी योग्यता होती है, उसका पूरा
फायदा उठा कर हर मुश्किलों को पार कर देते हैं। एक बार ट्रेन में सफर करते
समय मेरे सामने दो अंधे लोग बैठे थे। उनका जीवन देखकर मैंने यह कविता उन
लोगों पर बनाई हैं। आंखों की रोशनी नहीं रहने के बाद भी कितने आत्मविश्वास
के साथ वे काम कर रहे थे। उनसे हमें यही प्रेरणा मिलती है कि हमें पांच
इंद्रियां परिपूर्ण मिली है तो हमने हमारे जीवन में निराशा को क्यों आने
देना? साहस और लगन के साथ हर कार्य करके सफलता का परछा हम अवश्य लहरा सकते हैं।
दोस्तों! आशा है...अंधे लोगों पर बनाई हुई यह हिंदी कविता आप सभी को बेहद पसंद आई होंगी। हमारे स्नेहीजन में जो भी ब्लाइंड पर्सन है उनको आप यह कविता समर्पित करें ताकि उनके जीवन में भी खुशियों की बहार आए और उनका आत्मविश्वास और भी गहरा बनकर अपनी कामयाबी शिखर वह छू ले।
अंधे लोगों पर हिंदी कविता
Hindi Poem for Blind Persons
पांचों इंद्रियों का नहीं मिला है साथ
फिर भी जिंदगी में मानी नहीं हार
भगवान ने जितना दिया उसमें मानो आभार
जीवन में हमेशा आगे बढ़ो यही इसका सार
दृष्टि नहीं मिली तो क्या हुआ
चलना फिरना बोलना तो नसीब हुआ
कितना आत्मविश्वास झलकता है बातों में
तूफानों से लड़ना जीवन की डगर में
हाथों के स्पर्श से हम हर काम कर लेंगे
जी भर के जिंदगी के मजे लूट लेंगे
लगन और मेहनत से करेंगे कोई काम
सुनहरे अक्षरों से लिख पाएंगे अपना नाम
नहीं कोई देखे हमें अब दया हिनता से
लढ़ लगे हम काले घेरे अंधेरों से...।
दोस्तों! आशा है...अंधे लोगों पर बनाई हुई यह हिंदी कविता आप सभी को बेहद पसंद आई होंगी। हमारे स्नेहीजन में जो भी ब्लाइंड पर्सन है उनको आप यह कविता समर्पित करें ताकि उनके जीवन में भी खुशियों की बहार आए और उनका आत्मविश्वास और भी गहरा बनकर अपनी कामयाबी शिखर वह छू ले।
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