हम जैसा कर्म करते है उसका फल हमें वैसा ही मिलता है , यह बहोत अच्छा सन्देश हमें इस कहानी से मिलता है। भगवान स्वयं
कहते हैं, कि मैंने जैसा कर्म पूर्व जन्मों में किया था, उसका फल भी भोगना
पड़ा है।
उसी रात को उस स्त्री के पति और पुत्र कहीं बाहर से आ रहे थे। वे बहुत थक गए थे और भूख भी लग रही थी। दोनों ने सोचा कि संत की कुटी पर कुछ विश्राम कर लेते हैं। जब वह संत के पास पहुंचे तो संत ने उन्हें बैठाया। पूत्र ने कहा कि बाबा! भूख लगी है, कुछ खाने के लिए हो तो दीजिए। संत ने वे दोनों लड्डू एक पिता को और एक पुत्र को खाने के लिए दे दिए। लड्डू खाने के बाद दोनों का प्राणान्त हो गया। वे दोनो मर गये। जब वह स्त्री संत के पास आई तो सिर पटक कर रोने लगी कि यह लड्डू तो मैंने ही संत को मारने के लिए बनाए थे, यह क्या हो गया!
◆कहानी की सीख:-
जो गड्ढा तुम दूसरों के लिए खोजते हो उसमें स्वयं भी गिर सकते हो। धर्म का मूल संदेश यही है कि जैसा करोगे,वैसा भरोगे।
दूसरों के लिए कांटे बिछाओगे तो स्वयं तुम्हें ही उन पर चलना होगा। अतः फुल बिछाओ दूसरों के लिए। आशा है, कर्म का फल कहानी जरूर पसंद आई होंगी।
अवश्य पढ़े :- १] नामकरण हिंदी एंकरिंग
२] पति पर बनाई हिंदी कविता
३] डाइटिंग सूप हिंदी रेसिपी
"कर्म का फल" हिंदी कहानी
"Karma ka Fal" Hindi Story
एक संत अत्यंत सरल स्वभाव के थे। वे जब भिक्षा मांगते थे, तो कहते थे परमात्मा के नाम पर दे दो। जो जैसा करेगा,वैसा ही भरेगा। उस नगर में एक कुलटा व्यभिचारिणी स्त्री रहती थी। जब वह स्त्री संत के वचन सुनती है की जो जैसा करेगा, वैसा भरेगा तो वह सोचती है कि यह संत मुझे तो नहीं सुनाता है? उसके मन में पाप आ गया। उसने सोचा कि कैसे इस संत को मार दूँ? स्त्री ने दो लड्डू खूब घी मेवा आदि डालकर बनाए और उन में जहर मिला दिया। जब वह संत उस स्त्री के दरवाजे से गुजरा तो उसने कहा कि जो जैसा करेगा, वैसा ही भरेगा। स्त्री सुनकर बाहर आई, उसने संत से कहा कि यह दो लड्डू तुम्हारे लिए ही बनाए हैं। बहुत अच्छे हैं। इन्हें अभी खा लेना। ऐसा कहकर संत को दे दिए। संत तो सरल स्वभाव का था, उसने लड्डू ले लिए और आगे बढ़ गया। आज उसे भिक्षा कुछ ज्यादा ही मिल गई थी। वहां अपने कुटी पर आया। उसने भिक्षा में मिले अन्य पदार्थ खा लिए, लड्डू वैसे ही रहे। संत ने सोचा कि इतने अच्छे लड्डू हैं, इन्हें कल खा लूंगा।उसी रात को उस स्त्री के पति और पुत्र कहीं बाहर से आ रहे थे। वे बहुत थक गए थे और भूख भी लग रही थी। दोनों ने सोचा कि संत की कुटी पर कुछ विश्राम कर लेते हैं। जब वह संत के पास पहुंचे तो संत ने उन्हें बैठाया। पूत्र ने कहा कि बाबा! भूख लगी है, कुछ खाने के लिए हो तो दीजिए। संत ने वे दोनों लड्डू एक पिता को और एक पुत्र को खाने के लिए दे दिए। लड्डू खाने के बाद दोनों का प्राणान्त हो गया। वे दोनो मर गये। जब वह स्त्री संत के पास आई तो सिर पटक कर रोने लगी कि यह लड्डू तो मैंने ही संत को मारने के लिए बनाए थे, यह क्या हो गया!
◆कहानी की सीख:-
जो गड्ढा तुम दूसरों के लिए खोजते हो उसमें स्वयं भी गिर सकते हो। धर्म का मूल संदेश यही है कि जैसा करोगे,वैसा भरोगे।
दूसरों के लिए कांटे बिछाओगे तो स्वयं तुम्हें ही उन पर चलना होगा। अतः फुल बिछाओ दूसरों के लिए। आशा है, कर्म का फल कहानी जरूर पसंद आई होंगी।
अवश्य पढ़े :- १] नामकरण हिंदी एंकरिंग
२] पति पर बनाई हिंदी कविता
३] डाइटिंग सूप हिंदी रेसिपी
Nice hindi story karma ka fal
ReplyDeletehere is a one short story of karma or karma ka phal r karam ka phal.
ReplyDeletein this story you will found that how our karma change our future.
if you want to know action of our karma you can go through with Karma ka phal
https://www.youtube.com/watch?v=Etutqmcj3Do
Many times, we think we are right as i want something from god, and we do many many manipulations in our life, but at that time, we never think about its revert or which kind of turn our life takes.
this story tells about our karma.