महापुरुष हमेशा फरमाते है, सहन करने में मजा है, सामना करने में सजा है। सहन शीलता इंसान का सबसे बड़ा गहना है। जब ऋषि ने राजकुमार को कोड़े मारे , इस कहानी में भी हम राजकुमार सहन शीलता की परीक्षा में किस तरह पास होते है , वह देखते है...
काफी समय पहले की बात है। एक राजा थे। नाम था प्रताप सिंह। बड़े ही दयावान, न्यायप्रिय और बुद्धिमान। उनका एक इकलौता पुत्र था। राजा चाहते थे कि उनके बाद उनका पुत्र राज्य का उत्तराधिकारी बने। इसलिए राजकुमार को हर तरह से वह बहुत होशियार बनाना चाहते थे। राजा ने बचपन में ही राजकुमार को एक ऋषि के आश्रम में पढ़ने भेज दिया। कुछ वर्षों बाद जब राजकुमार सभी विद्याओं में पारंगत हो गया तो उसे लेकर ऋषी राजा के पास पहुंचे। भरे दरबार में राजा ने ऋषि से पूछा- 'ऋषीवर!क्या राजकुमार सब शिक्षा में निपुण और होशियार हो गया है?' हां राजन! राजकुमार सब तरह से निपुण एवं योग्य हो गया किंतु....'कहते कहते रुक गए।
'आप क्यों रुक गए?' राजा ने आश्चर्य से पूछा, राजकुमार हर तरह से योग्य है, पर उसकी एक परीक्षा बाकी है, जो राज दरबार में ही ली जाएगी। यदि वह उस में सफल नहीं हुआ तो वह राजा बनने के योग्य नहीं है।
परीक्षा,कैसी परीक्षा? मैं कुछ समझा नहीं। ऋषिवर साफ-साफ कहें। पहेलिया नहीं बुझाइये। राजा ने व्यग्रता से कहा।
हा राजन्... राजकुमार की परीक्षा! यह उसकी अंतिम परीक्षा होगी। किंतु परीक्षा की शर्त यह है कि परिक्षा लेते वक्त आप एवम दरबार का कोई भी व्यक्ति किसी तरह का हस्तक्षेप न करें। यदि आपको यह शर्त मंजूर हो तो आप आज्ञा दे और राजकुमार की परीक्षा ली जाए।राजा से स्विकृति लेने के बाद राजकुमार के कपड़े उतरवाकर ऋषि उस पर कोड़े बरसाने लगे। सटाक... सटाक...एक नहीं पूरे 15 कोडे राजकुमार को लगाए।
राजकुमार ने न तो उफ किया और नहीं कोड़े लगाने का विरोध। कोड़े लगाने के बाद राजा ने ऋषि से पूछा, ऋषिवर यह कैसे परीक्षा ली आपने? आपने तो राजकुमार को कड़ी सजा दे दी। राजकुमार ने कोई अपराध किया था?
ऋषिवर ने कहा, 'नहीं राजन! राजकुमार ने कोई अपराध नहीं किया। यह तो उसकी सहनशीलता की परीक्षा थी। राजा बनने के बाद वह कभी किसी पर क्रोध ना करें और ना ही किसी बेगुनाह निरपराध व्यक्ति पर कोड़े बरसाए। जब भी राजकुमार किसी को कोड़े लगाने की सजा देंगे तब उस वक़्त उन्हें इन्हीं कोड़ों की याद रहेगी। तब वह भूल कर भी किसी को कोड़े की सजा न देंगे। मेरी परीक्षा का यही उद्देश्य था, जिसमें राजकुमार खरे उतरे। अब वह हर तरह से राजा बनने के योग्य हैं।'
यह सब देख कर राजा खुश हुए। राजा ने संतुष्ट होकर ऋषि का खूब आदर सत्कार किया और आश्रम के लिए विदा किया।
कहानी की सीख:-
जिस व्यक्ति में सहनशीलता का गुण होता है, उसकी सदैव जय जयकार होता है।
जब ऋषि ने राजकुमार को कोड़े मारे, यह कहानी अपने बच्चों को जरूर सुनाये, ताकि उन्हें सहन शीलता का महत्व समझे।
अवश्य पढ़े :- १] नामकरण हिंदी एंकरिंग
२] पति पर बनाई हिंदी कविता
३] डाइटिंग सूप हिंदी रेसिपी
"जब ऋषी ने राजकुमार को कोडे मारे" हिंदी कहानी
Hindi Story "Jab Rishi Ne Rajkumar Ko Kode Mare"
काफी समय पहले की बात है। एक राजा थे। नाम था प्रताप सिंह। बड़े ही दयावान, न्यायप्रिय और बुद्धिमान। उनका एक इकलौता पुत्र था। राजा चाहते थे कि उनके बाद उनका पुत्र राज्य का उत्तराधिकारी बने। इसलिए राजकुमार को हर तरह से वह बहुत होशियार बनाना चाहते थे। राजा ने बचपन में ही राजकुमार को एक ऋषि के आश्रम में पढ़ने भेज दिया। कुछ वर्षों बाद जब राजकुमार सभी विद्याओं में पारंगत हो गया तो उसे लेकर ऋषी राजा के पास पहुंचे। भरे दरबार में राजा ने ऋषि से पूछा- 'ऋषीवर!क्या राजकुमार सब शिक्षा में निपुण और होशियार हो गया है?' हां राजन! राजकुमार सब तरह से निपुण एवं योग्य हो गया किंतु....'कहते कहते रुक गए।
'आप क्यों रुक गए?' राजा ने आश्चर्य से पूछा, राजकुमार हर तरह से योग्य है, पर उसकी एक परीक्षा बाकी है, जो राज दरबार में ही ली जाएगी। यदि वह उस में सफल नहीं हुआ तो वह राजा बनने के योग्य नहीं है।
परीक्षा,कैसी परीक्षा? मैं कुछ समझा नहीं। ऋषिवर साफ-साफ कहें। पहेलिया नहीं बुझाइये। राजा ने व्यग्रता से कहा।
हा राजन्... राजकुमार की परीक्षा! यह उसकी अंतिम परीक्षा होगी। किंतु परीक्षा की शर्त यह है कि परिक्षा लेते वक्त आप एवम दरबार का कोई भी व्यक्ति किसी तरह का हस्तक्षेप न करें। यदि आपको यह शर्त मंजूर हो तो आप आज्ञा दे और राजकुमार की परीक्षा ली जाए।राजा से स्विकृति लेने के बाद राजकुमार के कपड़े उतरवाकर ऋषि उस पर कोड़े बरसाने लगे। सटाक... सटाक...एक नहीं पूरे 15 कोडे राजकुमार को लगाए।
राजकुमार ने न तो उफ किया और नहीं कोड़े लगाने का विरोध। कोड़े लगाने के बाद राजा ने ऋषि से पूछा, ऋषिवर यह कैसे परीक्षा ली आपने? आपने तो राजकुमार को कड़ी सजा दे दी। राजकुमार ने कोई अपराध किया था?
ऋषिवर ने कहा, 'नहीं राजन! राजकुमार ने कोई अपराध नहीं किया। यह तो उसकी सहनशीलता की परीक्षा थी। राजा बनने के बाद वह कभी किसी पर क्रोध ना करें और ना ही किसी बेगुनाह निरपराध व्यक्ति पर कोड़े बरसाए। जब भी राजकुमार किसी को कोड़े लगाने की सजा देंगे तब उस वक़्त उन्हें इन्हीं कोड़ों की याद रहेगी। तब वह भूल कर भी किसी को कोड़े की सजा न देंगे। मेरी परीक्षा का यही उद्देश्य था, जिसमें राजकुमार खरे उतरे। अब वह हर तरह से राजा बनने के योग्य हैं।'
यह सब देख कर राजा खुश हुए। राजा ने संतुष्ट होकर ऋषि का खूब आदर सत्कार किया और आश्रम के लिए विदा किया।
कहानी की सीख:-
जिस व्यक्ति में सहनशीलता का गुण होता है, उसकी सदैव जय जयकार होता है।
जब ऋषि ने राजकुमार को कोड़े मारे, यह कहानी अपने बच्चों को जरूर सुनाये, ताकि उन्हें सहन शीलता का महत्व समझे।
अवश्य पढ़े :- १] नामकरण हिंदी एंकरिंग
२] पति पर बनाई हिंदी कविता
३] डाइटिंग सूप हिंदी रेसिपी
Jab rishi ne code mare is very inspiring story
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