सच्चे सद्गुरु की खोज हिंदी कहानी Hindi Story " Sachche Sadguru ki Khoj "

May 23, 2017
सच्चे सद्गुरु की खोज यह हिंदी कहानी बहोत ही सुन्दर और प्रेरणादायी है। इस कहानी के माध्यम से सच्चा संत कैसा होता है इसके हमे भली भांति  दर्शन होते है। 

 सच्चे सद्गुरु की खोज हिंदी कहानी

 Hindi Story " Sachche Sadguru ki Khoj "


एक बार एक व्यक्ति एक सद्गुरु को खोज रहा था। उसकी पत्नी ने कहा,तुम रहने दो तुम्हारा यह काम मैं करती हूं। मैं तुम्हारे लिए सद्गुरु खोज देती हूं। वह पति-पत्नी जिस गाँव में रहते थे, अक्सर वहां साधु संतों का आवागमन होता ही रहता था। पत्नी ने सदगुरु की खोज का एक उपाय किया। उसने अपने घर में एक पिंजरे में काला कौवा बंद करके रख लिया। जब भी संत महात्मा उसके घर भिक्षा के लिए आते तो प्रथम वह उन्हें आहार पानी बहराती और फिर कहती देखिए महाराज मैंने कितना सुंदर हंस  पाल रखा है।कितना श्वेत है, कितना सुंदर है।

इस  पर महाराज कहते, अरे! वह कौवे को हंस कह रही हो तुम। तुम्हें दिखता नहीं है कि यह कौवा है। सफेद नहीं , काला है। फिर वह महिला कहती, महाराज ज़रा अपनी आंखों को साफ करो। यह कौवा नहीं, हंस हैं। ध्यान से देखो। संत तुम हमें आँखें साफ करने को कहती हो। तुम अपनी दृष्टी को सुधारो। कौवे को हंस कह देने से कौवा हंस नहीं हो जाता। इस प्रकार अक्सर संत नाराज होकर उस घर से चले जाते। ऐसा अनेक बार हुआ। अनेक संत महात्माओं को उस महिला ने नाराज कर दिया। पर उसे इसकी चिंता न थी। वह तत्वज्ञा थी। उसे इस तथ्य का भली भांति ज्ञान था कि सच्चा संत कभी नाराज नहीं होता है। ऐसे ही सच्चे संत की खोज के लिए उसने वह सब उपक्रम किया था।


उसी क्रम में एक बार एक तेजस्वी संत उस महिला के घर आए। महिला ने आहार पानी बहराया। संत लौटने लगे तो उस महिला ने कहा, महाराज! जरा इधर भी चरण डालते जाइए। देखिए मैंने कितना सुंदर हंस छुपा के रखा है। संत ने उधर देखा, बोले, बहन! यह हंस नहीं, यह कौवा है। महिला बोली, प्रतीत होता है कि आप कम देखते हो। आप अपनी आंखों को साफ कीजिए। ध्यान से देखो, यह कौवा नही है हंस है। 


संत मुस्कुराए और बोले, ठीक है बहन! लेकिन एक बात स्मरण रखना, आग्रह मत करना कि यह हंस ही है। अपने दृष्टिकोण को तुम खुले रख लेना। अपने मन के दरवाजों को तुम खुले रखना, बंद मत कर देना। आग्रही मत बनना कि यह हंस ही है। हाँ, यह हंस भी है और कौवा भी है। तुम्हारी दृष्टी में यह हंस है और मेरी दृष्टि में यह कौवा है। आगे कोई कुछ समझाने आए तो बात को समझने की कोशिश करना।


महिला ने संत के चरणों पर मस्तक झुका दिया और पति से कह दिया कि यह है सद्गुरु!

कहानी की सीख:-

किसी भी बात का आग्रह न करें। जैसे कि आपने अपने जीवन को अपने ढंग से जिया। आप यह आग्रह न करें कि आपके बच्चे भी उसी तरह जिंदगी जिये, जिस तरह आपने जी, तो आपका यह आग्रह हो सकता है, आपके जीवन को कठिनता से भर देगा।

 आपके अपने अनुभव है। आप उन अनुभव के आधार पर सुझाव दे सकते हैं। किसी भी बात का आग्रह ना करें। इससे आपका सम्मान बढ़ेगा।आपका जीवन सरस बनेगा। सद्गुरु की खोज इस कहानी से हमे यही सन्देश मिलता है। 


अवश्य पढ़े :-  १] कन्या भ्रूण हत्या पर  हिंदी कविता 
                    २] कोरमे की पूड़ी हिंदी रेसिपी 
                    ३] गेट टुगेदर पर बनाई हिंदी कविता  
Previous
Next Post »
0 Comment