भारतीय परंपरा में लड़कों को इसलिए महत्व मिला है, कि वह वंश परंपरा
को आगे बढ़ाता है। जिस परिवार में लड़का आ गया तो माता-पिता आश्वस्त हो
जाते हैं, कि उनका वंश आगे चलता रहेगा। हमारे शास्त्र भी कहते है, कन्या
पराई है। वह अपने पति के घर चली जाएगी। वह बड़ी क्या होती है कि माता-पिता
को चिंता सताने लगती है। समय से उसकी शादी कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त
होना चाहते हैं। एक तो वह पिता के वंश को आगे नहीं बढ़ा सकती और दूसरा उसकी
शादी के लिए माता पिता को न जाने कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं। कोई परिवार
मिला तो लड़का नहीं, लड़का ठीक मिला तो परिवार नहीं; कही लडका, परिवार ठीक
है तो जमीन जायदाद नहीं और सब कुछ ठीक है तो लाखों करोड़ों का दहेज, कहां
से लाए? चलिए, कन्या भ्रूण हत्या के इन्हीं कारणों को हम जानते हैं...
समाज में नारी की कमजोर स्थिति :-
भारत पुरुष प्रधान देश है। जहां सदियों से पुरुष को प्रधानता दी जाती है और नारी को एक कमजोर कड़ी के रुप में देखा जाता है। समाज में नारी की कमजोर स्थिति है। इसलिए लोग लड़की को जन्म देने से कतराते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है, लड़की की परवरिश करना इतना आसान काम नहीं हैं। समाज नारी को एक दयनीय दृष्टि से देखता है। इस कारण से भी कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ावा मिल रहा है।
असुरक्षा की भावना :-
नारी के जीवन में सुरक्षितता का अभाव है। आज भारत माता की बेटी का जीवन हर क्षेत्र में असुरक्षित है। आए दिन हम बलात्कार, यौन शोषण आदि के कई किस्से सुनते हैं। नारी का जीवन असुरक्षित है, इस भावना से भी माता पिता बेटी को जन्म नहीं देना चाहते।
दहेज प्रथा, बलात्कार, अपहरण :-
दहेज प्रथा, बलात्कार, अपहरण आदि के डर से भी यह समाज बेटी के जन्म से कतराता है। बेटी को जन्म नहीं देना चाहता। पुत्री के विवाह के लिए दहेज पर अत्यधिक खर्च की परंपरा अनचाहे बेटी को जन्म देने से रोकता है। हमारे देश में नारी की सुरक्षितता बढ़नी चाहिए ताकि वहां खुलेआम अपनी बाहें फैलाकर अपने जिंदगी का आयाम पा सके। लेकिन देश में इसकी कमी है। इसलिए बलात्कार, अपहरण जैसी बातों से उसे गुजरना पड़ता है। इन कारणों से भी समाज बेटी को जन्म नहीं देना चाहता।
पुरुष पराश्रित :-
नारी पुरुष पर आश्रित है। वह स्वावलंबी जीवन नहीं जी सकती। उसे किसी न किसी का सहारा चाहिए। इस बात के डर से समाज नारी को जन्म नहीं देना चाहता।
विवाह के बाद दूसरे वंश परंपरा के हो जाना :-
बेटी तो पराया धन है। शादी होने के बाद वह किसी और की अमानत है। वह कभी अपने वंश की परंपरा नहीं चला सकती। विवाह के बाद वह दूसरे वंश की हो जाएगी, इस डर से भी माता पिता बेटी को जन्म नहीं देना चाहते।
अपने पिता की वंश परंपरा की वाही का ना होना :-
बेटियां अपने पिता की भविष्य परंपरा की वाही नहीं बन सकती। बेटा ही वंश को दीपाएगा, आगे लेकर जाएगा। जिससे उनका वंश आगे बढ़ते रहेगा। पीढ़ीन- पीढ़ी उनके वंश का नाम चलता रहेगा, इस बात से आकर्षित होकर भी माता पिता बेटी के जन्म से ज्यादा बेटे के जन्म की चाह रखते हैं। क्योंकि वह सोचते हैं बेटा हमारे परिवार का वंशज है, बेटी नहीं।
यदि यह सब होता रहा तो गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना पड़ेगा। प्रकृति और नियम के विपरीत कार्य करने का परिणाम बहुत भयंकर होता है। यदि यह चलता रहा तो सृष्टि के असंतुलन के लिए तैयार रहना होगा। कन्याओं की संख्या में कमी हो जाने से स्त्री पुरुष जोड़ी के असंतुलन से अपहरण, बलात्कार,
व्यभिचार आदि को बढ़ावा मिलेगा। कन्या अपहरण जैसी बुराई बहुत विकराल रुप ले लेगी।
हमें इन्हीं कारणों को ढूंढ कर इन कारणों को दूर करने का प्रयास करना पड़ेगा। तभी हमारा समाज बदलेगा, देश बदलेगा, देश की प्रगति होगी। क्योंकि स्त्री और पुरुष दोनों ही एक ही रथ के पाए हैं, टूट गया तो हमारा समाज बिखर जाएगा। असंतुलित हो जाएगा। दोस्तों! इन कारणों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें। ताकि हम कन्या भ्रूण हत्या से निजात पा सके और एक सुंदर कली हमारे जीवन में हमेशा महकती रहे।
कन्या भ्रूण हत्या के कारण
Reason for Female Foeticide
समाज में नारी की कमजोर स्थिति :-
भारत पुरुष प्रधान देश है। जहां सदियों से पुरुष को प्रधानता दी जाती है और नारी को एक कमजोर कड़ी के रुप में देखा जाता है। समाज में नारी की कमजोर स्थिति है। इसलिए लोग लड़की को जन्म देने से कतराते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है, लड़की की परवरिश करना इतना आसान काम नहीं हैं। समाज नारी को एक दयनीय दृष्टि से देखता है। इस कारण से भी कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ावा मिल रहा है।
असुरक्षा की भावना :-
नारी के जीवन में सुरक्षितता का अभाव है। आज भारत माता की बेटी का जीवन हर क्षेत्र में असुरक्षित है। आए दिन हम बलात्कार, यौन शोषण आदि के कई किस्से सुनते हैं। नारी का जीवन असुरक्षित है, इस भावना से भी माता पिता बेटी को जन्म नहीं देना चाहते।
दहेज प्रथा, बलात्कार, अपहरण :-
दहेज प्रथा, बलात्कार, अपहरण आदि के डर से भी यह समाज बेटी के जन्म से कतराता है। बेटी को जन्म नहीं देना चाहता। पुत्री के विवाह के लिए दहेज पर अत्यधिक खर्च की परंपरा अनचाहे बेटी को जन्म देने से रोकता है। हमारे देश में नारी की सुरक्षितता बढ़नी चाहिए ताकि वहां खुलेआम अपनी बाहें फैलाकर अपने जिंदगी का आयाम पा सके। लेकिन देश में इसकी कमी है। इसलिए बलात्कार, अपहरण जैसी बातों से उसे गुजरना पड़ता है। इन कारणों से भी समाज बेटी को जन्म नहीं देना चाहता।
पुरुष पराश्रित :-
नारी पुरुष पर आश्रित है। वह स्वावलंबी जीवन नहीं जी सकती। उसे किसी न किसी का सहारा चाहिए। इस बात के डर से समाज नारी को जन्म नहीं देना चाहता।
विवाह के बाद दूसरे वंश परंपरा के हो जाना :-
बेटी तो पराया धन है। शादी होने के बाद वह किसी और की अमानत है। वह कभी अपने वंश की परंपरा नहीं चला सकती। विवाह के बाद वह दूसरे वंश की हो जाएगी, इस डर से भी माता पिता बेटी को जन्म नहीं देना चाहते।
अपने पिता की वंश परंपरा की वाही का ना होना :-
बेटियां अपने पिता की भविष्य परंपरा की वाही नहीं बन सकती। बेटा ही वंश को दीपाएगा, आगे लेकर जाएगा। जिससे उनका वंश आगे बढ़ते रहेगा। पीढ़ीन- पीढ़ी उनके वंश का नाम चलता रहेगा, इस बात से आकर्षित होकर भी माता पिता बेटी के जन्म से ज्यादा बेटे के जन्म की चाह रखते हैं। क्योंकि वह सोचते हैं बेटा हमारे परिवार का वंशज है, बेटी नहीं।
यदि यह सब होता रहा तो गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना पड़ेगा। प्रकृति और नियम के विपरीत कार्य करने का परिणाम बहुत भयंकर होता है। यदि यह चलता रहा तो सृष्टि के असंतुलन के लिए तैयार रहना होगा। कन्याओं की संख्या में कमी हो जाने से स्त्री पुरुष जोड़ी के असंतुलन से अपहरण, बलात्कार,
व्यभिचार आदि को बढ़ावा मिलेगा। कन्या अपहरण जैसी बुराई बहुत विकराल रुप ले लेगी।
हमें इन्हीं कारणों को ढूंढ कर इन कारणों को दूर करने का प्रयास करना पड़ेगा। तभी हमारा समाज बदलेगा, देश बदलेगा, देश की प्रगति होगी। क्योंकि स्त्री और पुरुष दोनों ही एक ही रथ के पाए हैं, टूट गया तो हमारा समाज बिखर जाएगा। असंतुलित हो जाएगा। दोस्तों! इन कारणों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें। ताकि हम कन्या भ्रूण हत्या से निजात पा सके और एक सुंदर कली हमारे जीवन में हमेशा महकती रहे।
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